दिल्ली के शाहीन बाग़ की औरतों का CAA, NRC के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन

दिल्ली का शाहीन बाग का इलाका, आजकल अपने उस धरने प्रदर्शन के लिए मशहूर हो रहा है जिसे सिर्फ कुछ औरतों ने खड़ा किया और भी उस वख्त जब जामिया में दिल्ली पुलिस का लाठीचार्ज और लाइब्रेरी में घुसकर मारने वाला वीडियो आ रहा था। शाहीन बाग की औरतों ने खामोशी से बैठकर आंदोलन की शुरुवात कर दी। एक दो अखबारों के अलावा हफ्तों तक इन औरतों पर कुछ खास नजर लोगों की नहीं पड़ी, लेकिन भीड़ धीरे धीरे बड़ती रही, शाहीन बाग में बुर्के में औरतें आंदोलन कर रही हैं यह बात धीरे धीरे हवा की तरह फैलनी लगी, सोशल मीडिया में पहली बार हैदर रिजवी की वाल पर शाहीन बाग की तस्वीरें देखी, जब दिसम्बर की कड़कड़ाती ठंड में यह औरतें धरने पर बैठी हुई थी, लोग से लोग मिलते गए कारवां बनता गया, आज की तारीख में यहां हजारों की संख्या में लोग आते हैं। मेट्रो से उतरकर अंदर जाते हुए आपको आप विधायक का कार्यालय मिलेगा और मन में पहला शक आएगा कि इसी ने आंदोलन खड़ा किया होगा। आगे बैरिकेड हैं जिससे आगे आप मुख्य सड़क पर आ जाते हैं, वहां कुछ लड़के खड़े हैं, जो आपका रास्ता रोककर आपको गली से जाने के लिए कहते हैं, ऐसा क्यों? पता नहीं? मगर व्यवस्था बनाने के लिए स्थानीय लड़कों ने यह उपाय किया है, बगल में एक बड़ा गेट है जिसका सिर्फ छोटा हिस्सा खोला गया है, सड़क पर गेट तो नहीं लगा सकते, इसलिए सबको गेट से भेजते हैं, दिन में तो आप आसानी से निकल सकते हैं, लेकिन शाम ढलते ही वह स्थानीय लड़के आपको चेक करते हैं, बिल्कुल मेट्रो वाली स्टाइल में, सिंगल गेट से आप अंदर गुजरते हैं, इसका फायदा क्या? अंदर एक शांतिपूर्ण धरना चल रहा है, उसमें किसी तरह की कोई अराजकता न फैले, अब किसी की शक्ल में थोड़ी न लिखा होता है उसकी नियत क्या है। खैर अंदर आप दूसरी गली से सीधा पंडाल के करीब पहुंच जाते हैं, एक मेडिकल कैम्प शुरू में ही मौजूद है। भारी मात्रा में भीड़ वहां खड़ी है, दुकानें सभी बन्द हैं, पंडाल के अंदर भारी संख्या में महिलाएं मौजूद हैं, माइक से बार बार अनाउंस होता है कि किसी भी तरह का मीडिया इंटरेक्शन कृपया पंडाल के अंदर करें, क्यों? ताकि अफवाहों से बचा जा सके, पंडाल के बाहर हर तरह के लोग मौजूद हैं, लेकिन अंदर महिलाएं हैं, शाहीन बाग की महिलाएं और उनसे आकर जुड़ रही अन्य महिलाएं, यह महिलाओ का आंदोलन है, कुछ महिलाओं के भगीरथ प्रयास से इतना बड़ा बना आंदोलन। नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लेकर कोई भी महिला कन्फ्यूज नहीं है, एकदम क्लियर है कि सीएए आज आया है और उसने भेदभाव दिखा दिया, गुस्सा सीएए से नहीं, उसमें मौजूद सिर्फ एक लफ्ज से है, जो भेदभाव को दिखाता है, एनआरसी कल आएगा और ऐसा ही कोई शब्द उसमें भी मौजूद होगा, अपनी घृणा,नफरत देश की धर्मनिरपेक्ष इमेज को बदलने की इच्छा को आपने सिर्फ एक शब्द को न डालकर जाहिर कर दिया है। उस समय पाकिस्तान को न चुनकर भारत में रहे लोगों को भी बंग्लादेश पाकिस्तान से आये लोगों खासकर मुस्लिमों की लाइन में खड़ा कर दिया जाएगा, सीएए का यह स्वरूप मंजूर नहीं इसमें बस एक छोटा सा बदलाव चाहिए।भारतीय मुस्लिम अगर अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाता तो वह बंगलादेशी पाकिस्तानी मुस्लिमों की लाइन में होगा और सीएए में भी उसे नागरिकता के लिए कोई छूट नहीं दी गई, उसे भी उन पाकिस्तानी बंगलादेशी मुस्लिमों की तरह 11 साल इंतजार करना होगा , वहीं दूसरी तरफ इन तीन देशों से आये हिन्दू जिन्होंने तब पाकिस्तान को चुना था वह मात्र 6 साल में नागरिकता पा लेंगे।आग तो सरकार लगा रही है और आगे भी लगाएगी और तब कुंआ खोदकर क्या फायदा।अभी आंदोलन की वजह आज का डर नहीं भविष्य का डर है और ऐसा डर जिसे इस सरकार ने खुद लोगों के दिलों में भरा है, अपनी हरकतों की वजह से, नोटबन्दी कर दी, अब खुद भुगत लो, जीएसटी लगा दिया अब खुद निपट लो, 370 हटा दी, आर्मी बैठा दो पब्लिक को बन्द कर दो। अब ऐसी हरकतें जब सरकार की हैं तो कल को यह भी आसानी से कह देगी आप नागरिक नहीं, जाओ, पुलिस इसे बन्द कर दो। खैर शाहीन बाग में कहीं पर भी किसी भी संगठन का कोई पोस्टर नहीं है, सिर्फ भारत के झंडे और भारत के प्रतीक मौजूद हैं, मंच पर भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें हैं, और कोई बहुत बड़ा इंतजाम नहीं है। पंडाल से थोड़ी दूरी पर कुछ सिख लोग लंगर चला रहे हैं, सिख समुदाय अपनी इस सेवा के लिए खासा प्रसिद्ध है, कई लोग बिरयानी लाकर बांट देते हैं, लेकिन मंच से लगातार अनाउंसमेंट होती है कि लोकल लोग अपने घर में ही भोजन करें, ताकि इसे बाहर से आये लोगों में बांटा जा सके। लोग बाहर से आते हैं, अपने साथ खाने पीने की चीजें लाते हैं, किसी भी तरह के डोनेशन को लेकर साफ साफ लिखा है कि न दिया जाए। चाय से लेकर पानी बिस्कुट सब अलग अलग लोग ला रहे हैं, स्थानीय लोगों की व्यवस्था पंडाल के अंदर वहीं के लोग देख रहे है। रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं, मंच पर बोलते हैं चले जाते हैं, मगर किसी तरह के पोलिटिकल डायलॉग्स को लेकर मंच से बार बार बात कही जाती है कि आंदोलन से जुड़ी चर्चा ही करें, 3 से 4 मिनट में अपनी बात रखें। आंदोलनकारी बेवकूफ नहीं हैं, समझदार हैं, रोड का सिर्फ एक हिस्सा उन्होंने घेरा है, दूसरी तरफ की रोड खाली छोड़ रखी है जिसे एहतियातन दिल्ली पुलिस ने बन्द किया हुआ है, अगर उस तरफ रोड से ट्रैफिक धीरे धीरे निकाला जाए तो आसानी से 1 से डेढ़ किमी का जाम लगेगा, मगर ट्रैफिक सुचारू रूप से चल सकता है, मगर दिल्ली पुलिस भी अपनी ड्यूटी कर रही है। रोड के दूसरे साईड अब लोग अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं, किसी ने रोड पर भारत का नक्शा बनाया है तो किसी ने रोड पर स्लोगन लिखें हैं, डिवाइडर के पत्थर उठाकर रोड पर रखकर लोग बैठ रहे हैं, क्योंकि कुर्सियां सीमित हैं।। आंदोलन पूरी तरह से व्यवस्थित है, और व्यवस्था को स्थानीय लोगों ने ही सम्भाल रखा है, किसी भी तरह की हिंसा से बचने के लिए वालिंटियर पंडाल के अंदर बाहर घूम रहे हैं। शाम होते होते भीड़ बड़ने लगती है, माइक से लगातार व्यवस्था बनाये रखने की अपील की जाती है, पत्रकारों से मीडियाकर्मियों से अपील की जाती है कि वह बाहर की किसी भी अफवाह को पहले पंडाल के अंदर क्रॉस चेक कर लें। आंदोलन स्वतः स्फूर्त है, जैसे अन्ना आंदोलन के समय माउथ पब्लिसिटी से लोग जुड़ते गए वैसे ही शाहीन बाग में भी माउथ पब्लिसिटी से लोग जुड़ते जा रहे हैं। नोएडा में काम करने वाले, गुड़गांव में काम करने वाले लोग जो यहां से मेट्रो के जरिये गुजरते हैं, देखने को जाते हैं, अलग अलग जगहों पर लोगों ने पोस्टर लगाए हैं, किसी भी तरह के विवाद से इस आंदोलन को दूर रखने की पूरी कोशिश की जा रही है। एक इंट्रेस्टिंग बात, मेडिकल कैम्प के साइड में शाम की नमाज के लिए कुछ जगह बनाई गई है, शाम को नमाजी औरतें जब वहां जाकर बैठने लगती हैं तो एक आवाज कानों में जाती है देख देख वहां दे रहे हैं ये पैसे। वहां जाकर पूछने पर पता चलता है कि नमाजी औरतें यहां अपनी नमाज अदा करने आती हैं। मुझे लगता है वह वीडियो वाला लड़का भी ऐसी किसी अफवाह का शिकार हुआ होगा क्योंकि कानों में ऑडियो भी गया उसके और विजुअल के रूप में औरतें अलग से किनारे जाकर बैठी भी। बाकी एक बार खुद देख आइये शाहीन बाग, हो सकता है मेरी नजर में जो मुझे लगा वह आपको न लगे, आपको कुछ और दिखाई दे।

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