इन्टरनेट का कनेक्शन कहा से आता है।
वेबसाइट का कनेक्शन setlite से नहीं होता-
क्या आपने कभी सोचा है कि इंटरनेट काम कैसे करता है कहा से आता है कभी सोचते होंगे की internet setlite से चलता होगा।
लेकिन आपको नहीं पता की inernet चलता है Opticle fibre केबल से। आपके पास इंटेरनेट आने से पहले तीन कंपनी से होकर गुजरना होता है। पहली होती है टियर1 कंपनी जिन्होंने पुरे समुन्द्र में केबल बिछा कर रखी गयी है। जो सभी देशो के बीच होकर गुज़रती है। अब कंपनी ने फाइबर केबल बिछा दी, फिर आपकी कंट्री से कनेक्ट की जायेगी, कंट्री से स्टेट से और स्टेट से सिटी में कनेक्ट की जाती है।
केबल के अंदर महीन बाल की तरह फाइबर wire होते है जिनकी स्पीड 100 gbps के बराबर होती है। जो ये कंपनी बिछाती है उसे हम टियर1 कंपनी कहते है। इंडिया में टाटा कॉम्युनिकेश ये वायर बिछाने का काम करती है। ये अपने खर्चे से केबल बिछाने का काम करती है। इन केबल को आप इंटर नेट के माध्यम से submarinecableMap.com पर जाकर देख सकते है । इंडिया में ये केबल सबसे ज़्यादा मुबई, कलकत्ता, चेन्नई, कोच्छि में बिछाई गयी है । भारत की सभी कंपनी ने जैसे जियो, एयरटेल, आईडिया, vodaphone ने अपने टावर के ज़रिये नेटवर्क बिछा रखे है।
अगर आप कोई भी वेबसाइट सर्च करोगे या
अगर आप कोई भी वेबसाइट सर्च करोगे या
विजिट करोगे, जिनके सर्वर इंडिया के बहार है
वो लैंडिंग पॉइंट से निकलेगा उनकी पॉइंट के थ्रू आपका डाटा ट्रैफिक और वो चला जायेगा उस सर्वर तक जिनकी वो लोकेशन में है।
सबसे ज़्यादा ट्रैफिक आता है मुम्बई से क्योंकि सबसे ज़्यादा केबल मुम्बई में कनेक्टेड है। ये सब लैंडिंग पॉइंट से ही आपका डाटा निकलता है ये website कोई satelite से सर्च नहीं होती है।
सभी campony के अपने शहरो में जो समुन्द्र में बसें है इन कंपनियों ने अपने submarine केबल बिछा रखी है।
अब इन कम्पनी को सिर्फ केबल बिछाने और कनेक्ट करने का खर्चा होता है बाकी internet का कोई भी खर्चा नहीं होता है। लेकिन इन केबल की आयु 25 साल से ज़्यादा नहीं होती है और केबल को समुद्र के खारे पानी में रहने के कारण खराबी आ जाती है जिनका मेंटनेस का खर्चा आता है।
टियर 2 का काम
टियर 2 का काम होता टियर 1 से काम लेना । टियर 1 टियर 2 को per GB के हिसाब से पैसा लेती। और कंपनी अपने ग्राहकों को इसके कई गुना रेट पर बेच देती है।
इंडिया का ट्राफिक मुम्बई की submarin केबल से जाता है। जो लगभग 80% होता है।
अब हम इसको डाटा देख सकते है कि मुंबई और डेल्ही में सबसे ज़्यादा ट्रैफिक आता है। और में ट्राफी काम हो जाता है क्योंकि रात में इंडिया में सब सोते है। ये सारी रिपोर्ट आपको निक्सी की वेबसाइट पर मिल जायेगी।
कभी कभी हमारे मोबाइल के इंटेरनेट की स्पीड कम हो जाती है, होता ऐसा है की जब फाइबर केबल के वायर कही से कट जाते है तो स्पीड कम हो जाती है।
टियर 3 कम्पनी कैसे काम करती है-
टियर 3 टियर 2 से internet खरीद कर अपने लोकल एरिया में सर्विस प्रदान करते है।
तो हमें पता होना चाहिए की इंटर्नेट satelite से कैच नहीं किया जाता है ये पूरा फ्री होता है, बस इसका खर्चा infraststcture और sirvice बनाने में आता है।
जियो कबसे काम कर रहा था इंडिया में-
जियो 2012 से intnet की planning में लगा हुआ था क्योंकि वो अपनी सबमरीन फाइबर केबल को समुन्द्र में बिछा रहा था। जब उसकी केबल बिछाने का काम पूरा हो गया तो उसने जियो के नाम से अपना फ्री inetnet launch कर दिया।
रिलायंस जियो ने कैसे किया internet फ्री
रिलायंस जियो ने एशिया, अफ्रीका, यूरोप में अपनी सबमरीन केबल को पहले से ही बिछा रखी है जिसके थ्रू जियो को internet फ्री करने में आसानी हो गयी।
वो लैंडिंग पॉइंट से निकलेगा उनकी पॉइंट के थ्रू आपका डाटा ट्रैफिक और वो चला जायेगा उस सर्वर तक जिनकी वो लोकेशन में है।
सबसे ज़्यादा ट्रैफिक आता है मुम्बई से क्योंकि सबसे ज़्यादा केबल मुम्बई में कनेक्टेड है। ये सब लैंडिंग पॉइंट से ही आपका डाटा निकलता है ये website कोई satelite से सर्च नहीं होती है।
सभी campony के अपने शहरो में जो समुन्द्र में बसें है इन कंपनियों ने अपने submarine केबल बिछा रखी है।
अब इन कम्पनी को सिर्फ केबल बिछाने और कनेक्ट करने का खर्चा होता है बाकी internet का कोई भी खर्चा नहीं होता है। लेकिन इन केबल की आयु 25 साल से ज़्यादा नहीं होती है और केबल को समुद्र के खारे पानी में रहने के कारण खराबी आ जाती है जिनका मेंटनेस का खर्चा आता है।
टियर 2 का काम
टियर 2 का काम होता टियर 1 से काम लेना । टियर 1 टियर 2 को per GB के हिसाब से पैसा लेती। और कंपनी अपने ग्राहकों को इसके कई गुना रेट पर बेच देती है।
इंडिया का ट्राफिक मुम्बई की submarin केबल से जाता है। जो लगभग 80% होता है।
कभी कभी हमारे मोबाइल के इंटेरनेट की स्पीड कम हो जाती है, होता ऐसा है की जब फाइबर केबल के वायर कही से कट जाते है तो स्पीड कम हो जाती है।
टियर 3 कम्पनी कैसे काम करती है-
टियर 3 टियर 2 से internet खरीद कर अपने लोकल एरिया में सर्विस प्रदान करते है।
तो हमें पता होना चाहिए की इंटर्नेट satelite से कैच नहीं किया जाता है ये पूरा फ्री होता है, बस इसका खर्चा infraststcture और sirvice बनाने में आता है।
जियो कबसे काम कर रहा था इंडिया में-
जियो 2012 से intnet की planning में लगा हुआ था क्योंकि वो अपनी सबमरीन फाइबर केबल को समुन्द्र में बिछा रहा था। जब उसकी केबल बिछाने का काम पूरा हो गया तो उसने जियो के नाम से अपना फ्री inetnet launch कर दिया।
रिलायंस जियो ने कैसे किया internet फ्री
रिलायंस जियो ने एशिया, अफ्रीका, यूरोप में अपनी सबमरीन केबल को पहले से ही बिछा रखी है जिसके थ्रू जियो को internet फ्री करने में आसानी हो गयी।






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