Hing (Asafetida) khane ki jaan
Hing or Asafetigo
हींग का नाम सुनते ही या तो चाट और गोलगप्पे के पानी की याद से मुँह में पानी आ जाता है या कुछ लोग हींग की तेज़ महक से पहले ही मुँह बिगाड़ने लगते है। यूरोप में मध्यकाल में हींग को एसिफेडिता के नाम दिया गया, जो बदबू का सूचक था। ज़ाहिर है कि हीग जैसे रत्न को एक हिंदुस्तानी पारखी जौहरी ही पहचान सकते है।
कहा पाया जाता है हींग
हींग फेरूला नामक पेड़ की जड़ो से रिसने वाला गोंद सा पधार्त होता है और ये पेड़ सिर्फ अफगानिस्तान और ईरान की सीमा में तथा कश्मीर के कुछ इलाको में पाए जाते है ।
काबुल की हींग सबसे achi मानी जाती है जिसे बाजार में पठानी नाम से बेचा जाता है। शुद्ध हींग के टुकड़े कुछ काले नमक के तरह दिखाई पडते है। हींग की गंध बहुत तेज़ होती है जो सुघने पर सर पर चढ़ जाती है और दुर्घन्द का भान कराती है। शुद्ध हींग को उचित मात्रा में बनाने की जानकारी कम ही लोगो को होती है, और हममें से अधिकतर मिलावट वाली अर्थार्त बांधन्दी हींग का प्रयोग करते है। इसे शुद्ध हींग के आटे के साथ मिलाकार बनाया जाता है। जो लोग हींग का जादू जगाना जानते है, यकीं मानिये , हींग की सुवास केसर से कम आकर्षित नहीं होती।
सेहत के लिये लाभदायक
आयुर्वेद का मानना है कि हींग पाचन में फायदेमंद होता है और कुपित वायु को नियंत्रित करती है। उत्तर भारत में अधिकांश घरो में अरहर माश की दाल में हींग का प्रयोग अनिवार्य समझा गया है। हींग को घरेलु नुक्से में भी प्रयोग किया जाता है।
खाने के साथ उपयोग
खाने में हींग का उपयोग सबसे ज़्यादा भारतीय उपमहाद्वीप में किया जाता है। होटल, रेस्तरां आदि में शाकाहारी ग्राहकों का सबसे भरेसेमंद साथी हींग ज़ीरे के आलू ही है। कश्मीरी पंडित रसोई में हींग का विशेष महत्व रखते है। आलू दम हो या चाउमिन और पनीर अथवा और कोई सब्जी , हींग के बिना अधूरी है।
हींग का स्वाद
स्वाद के कारण ही नहीं बल्कि ठन्डे प्रदेशो में भी इसकी तासीर के कारण इसे प्राथमिकता दी जाती है। कश्मीरी मुस्लमान वाजवान में ये भूमिका लहसुन की है। rajastan की मरुभूमि के मारवाङी संताने चाहे जैन हो या हिन्दू वैश्य लहसुन को तामसिक प्रवर्तीय को उत्तेजित करने वाला समझकर विर्जित मानती है और विकल्प ले रूप हींग का उपयोग करती है।
- गुजरात में भी हींग लकप्रिया है।
-देशभर में हींग अचारी मसालो में शामिल की जाती है।
- दछिड़ भारत में भोजन में हींग का प्रयोग अपेक्षकृत अधिक होता है।
-रसम में तो इसका स्वर प्रधान रहता है। साम्बर मसालो में भी नामात्र के लिए ही सही इसे शामिल किया जाता है।
-आलो दम हो या पनीर या हो कोई भी सब्जी हींग के बिना काम नहीं चलता , आयुर्वेद की पुस्तकों में भी हींग को मन जाता है रामबाण उपाय।





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